बैंक खाता कितने प्रकार के होते है || Bank Account News

 

बैंक अकाउंट कितने प्रकार का होता है

जय हिंद दोस्तों बहुत सारे लोगों का सवाल आता है कि अकाउंट कितने प्रकार का होता है क्योंकि आमतौर पर लोग जानते हैं कि सेविंग अकाउंट ही होता है जिसे बचत खाता कहते हैं और ज्यादा जरूरत है कोई बिजनेस कर रहा है कुछ दुकान अगर बड़ा है होलसेल का बिजनेस है मोटा बिजनेस है तो क्रेंट अकाउंट जिसे हम चालू खाता कहते हैं आमतौर पर यही दो खाते को लोग जानते हैं ..



करेंट अकाउंट या  चालू खाता क्या  होता है 

एक सेविंग अकाउंट एक करेंट अकाउंट लेकिन इसके अलावे बहुत सारे लोगों ने ये सवाल किया है कि इसके अलावा कितने तरह के खाते हैं बैंक में खोला जा सकता है जिससे बेनिफिट उठाया जा सकता है या फर पैसे इन्वेस्ट किए जा सकते हैं 

तो आज इसी पर चर्चा करूंगा और इसी के बारे में पूरी जानकारी दूंगा आपको पूरे वीडियो में आप बने रहेंगे आगे बढ़ने से पहले रिक्वेस्ट करूंगा वीडियो को आप लाइक जरूर करेंगे दोस्तों मैं आपको बता दूं कि देखिए बैंक में अनेकों तरह के खाते तो सेविंग अकाउंट का तो चर्चा मैंने किया है सेविंग अकाउंट तो आप जानते ही होंगे जिसमें पैसा बचत करता है 

लोग मतलब पैसा जमा करते हैं जब जरूरत पड़े आप निकाल सकते हैं उसमें सालाना आपको 1 पर से लेके 3 पर तक एनुअल इंटरेस्ट मिलता है सभी बैंक का अलग-अलग है कोई 1 पर कोई 2 पर कोई 3 पर तो ऐसे आपको मिलता है सेविंग अकाउंट पर 

इसके अलावा करेंट अकाउंट को बता दूं तो करेंट अकाउंट मैंने आपको बताया कि बिजनेसमैन खोलते हैं जिसका बड़ा शॉप है या फिर कोई कंपनी है फैक्ट्री है दुकान है उन लोगों का होता है और उसमें आप अनलिमिटेड लेनदेन कर सकते हैं 

अनलिमिटेड लेनदेन कर सकते हैं लेकिन उसमें क्या है कि उसमें किसी प्रकार का आपको इंटरेस्ट नहीं मिलता है एक रुपया भी इंटरेस्ट उसमें नहीं मिलता है 

क्लासिक सेविंग अकाउंट किसे कहते है 

यह बात आपको समझना पड़ेगा आपको बता दूं कि देखिए सेविंग अकाउंट हो या करंट अकाउंट दोनों अलग-अलग है और ये तो खुलता ही है बैंक में लेकिन इसमें भी अलग-अलग कैटेगरी बना दिया गया है जैसे सेविंग अकाउंट है तो सेविंग अकाउंट में क्या होता है कि सेविंग अकाउंट में क्लासिक सेविंग अकाउंट जीरो बैलेंस का सेविंग अकाउंट अलग होता है 

जन धन का सेविंग अकाउंट

उसी में जन धन का सेविंग अकाउंट नाम अलग-अलग दे दिया जाता है लेकिन अकाउंट सभी सेविंग ही होता है महिलाओं के लिए अलग अभी भुन पावर सेविंग अकाउंट खुलने लगा है सभी बैंकों में तो नाम अलग-अलग होता है फैसिलिटी थोड़ा अलग-अलग होता है लेकिन वो सेविंग अकाउंट ही होता है इसके अलावा करंट अकाउंट में भी इसी तरह से अलग-अलग फैसिलिटी दिया जाता है 

कोई बहुत ज्यादा लेनदेन करता है उनके लिए जीरो बैलेंस पे भी होता है किसी का लिमिटेशन 25000 वाला होता है किसी के साथ ओडी के साथ होता है तो बहुत सरा अलग-अलग स्कीम का नाम दे दिया जाता है कि यह नाम है क्लासिक है तो प्लाटेनियम है तो गोल्डन है लेकिन होता क्या है कि वो करंट अकाउंट ही होता है 

इंडिविजुअल अकाउंट

इसके अलावा करंट अकाउंट में होता है एक इंडिविजुअल होता है जैसे कोई व्यक्ति शॉप चला रहा है दुकान चला रहा है तो उसका करेंट अकाउंट अलग तरीके का होता है वो दुकानदारी के लिए होता है उसी हिसाब से होता है 

डीमेट अकाउट 

इसके अलावा आपको बता दूं हर बैंक आजकल चाहे सरकारी बैंक हो प्राइवेट ब बैंक हो हर कोई डीमेट अकाउंट भी खोलने लगा डीमेट अकाउंट डीमेट अकाउट का नाम बहुत लोगों ने सुना है लेकिन फैसिलिटी लोगों को पता ही नहीं है 

इसका करना क्या है पता ही नहीं लोगों को तो आज मैं आपको समझा दूं कि जो लोग ट्रेडिंग करते हैं शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं स्टॉक मार्केट में पैसा लगाते हैं तो उसके लिए डीमेट अकाउंट अलग खुलता है वो करंट और सेविंग से नहीं होता डीमेट अकाउंट अलग खुलता है 

जिस पर आप पैसा लोड करते हो जमा करते हो और वहां से आप शेयर कोई खरीदते हो बेचते हो मतलब वहीं से पैसा जाता है शेयर मार्केट में और आप बेचते हो शेयर को तो वो पैसा लौट के वहीं पर आता है मतलब वहीं से लेनदेन करते हो जो आपका किसी सेविंग अकाउंट या करेंट अकाउंट से वो डीमेट अकाउंट लिंक होता है 

किसी करेंट अकाउंट या सेविंग अकाउंट से लिंक होता है मतलब सेविंग अकाउंट से पैसा आप डीमेट अकाउंट पर भेजते हो और डीमेट अकाउंट से स्टॉक मार्केट में लगाते हो शेयर बाजार में लगाते हो किसी प्रकार से कहीं भी इस्तेमाल करते हो स्टॉक खरीदने में आपको बता दूं तो डीमेट अकाउंट पर पैसा लेने के लिए सेविंग अकाउंट या करेंट अकाउंट का जरूरत पड़ता है उसमें से पैसा इसमें आता है 

लेकिन ट्रेडिंग करने के लिए बिना डीमेट अकाउंट का आप ट्रेडिंग नहीं कर सकते शेयर मार्केट में किसी प्रकार का स्टॉक या शेयर बाजार में किसी प्रकार का पैसा आप नहीं लगा सकते तो ये होता है डिमेट अकाउंट इसके अलावा बैंक में क्या होता है एफडी भी एक अकाउंट ही होता है 

फिक्स डिपॉजिट 

एफडी जिसे फिक्स डिपॉजिट कहते हैं तो फिक्स डिपॉजिट में क्या होता है वो बहुत सारे लोगों को पता भी है लेकिन बहुत लोगों को नहीं भी पता एक बार आपके पास 10000 है 20000 है 50000 लाख दो लाख दो करोड़ 5 करोड़ जितना भी पैसा है 

आप जाते हैं बैंक में रख देते हैं एफडी कर देते हैं फिक्स डिपॉजिट कर देते हैं जैसे आपने एफडी कर दिया 5 सालों के लिए बैंक ने कह दिया चलो 5 साल में आपने ₹ लाख रखा है ये आपका 170000 हो जाएगा या 5 लाख हो जाएगा या पौ लाख हो जाएगा या मैं डबल ही कर दूंगा जो उस समय एक्स स्क्रीम चलता रहेगा तो वो आपको एक बैंक में लिमिटेशन लिख के दे दिया जाता है कि इतना पैसा आपने रखा है इतना मिलेगा फिक्स डिपोजिट करता है

फिक्स हो गया अब उतने साल में उतना पैसा आपको मिल जाता है तो उसे बोलते हैं फिक्स्ड डिपॉजिट सभी बैंकों का अलग-अलग स्कीम होता है लेकिन नाम सभी का फिक्स डिपॉजिट होता है ये आजकल सेविंग अकाउंट में खुलने लगा है जैसे सेविंग अकाउंट में आपका पैसा है 10000 200 हज 500 हजार 1 लाख तो उसको आप बोलेंगे तो ऑटो स्प करके फिक्स डिपॉजिट में वो डाल देते हैं जब मन करे उस पैसे को निकाल सकते हैं 


जितने दिन रहेगा फिक्स डिपोजिट में उतने दिन का इंटरेस्ट मिल जाता है अब फिक्स जी का एक चीज और बता देता हूं आपको कि अगर आपने 10 साल के लिए 5 साल के लिए फिक्स डिपॉजिट में पैसा रख दिया एफडी में पैसा रख दिया लेकिन आपको जरूरत पड़या कि मुझे 1 साल में या जरूरत आ गया पैसे को मुझे निकालने है बैंक से मैं क्या करूंगा तो आपको बता दूं फिक्स का मतलब यह नहीं होता है कि लॉकिंग पीरियड होता है

कभी नहीं निकलेगा 10 साल के बाद ही निकलेगा ऐसा कुछ भी नहीं होता है आप 10 साल के लिए कर रखे हो आपको 1 साल में पैसा जरूरत पड़ गया आप जाइए आराम से तोड़ के उस पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं 1 साल का ही इंटरेस्ट आपको जोड़ के मिल जाएगा उसमें अगला है 

आरडी या रेकरिंग डिपॉजिट 

आरडी आपको बता दूं बहुत कम लोग जानते हैं कि बड़ी-बड़ी बैंक भी आरडी करती है जैसे आपने सारा इंडिया में खाता खुलवाया होगा आरडी के रूप में महीना में आप जमा करते थे ₹5000000 महीना 00 महीना 2000 महीने जितना आप सक्षम होते थे 


आप छोटे दुकानदार हैं बड़े दुकानदार हैं नौकरी करते हैं कुछ भी करते हैं काम तो उसमें जमा करते थे तो आरडी कहलाता था जिसे रेकरिंग डिपॉजिट कहते हैं तो आरडी जमा करते हैं और जब 3 साल के लिए 4 साल के लिए 5 साल के लिए लोग कराते हैं उतना एक मस्ट जमा हो जाता है 

इंटरेस्ट के साथ पैसा उसे लौटा दिया जाता है इसको बोलते हैं आरडी तो ये बता दूं हर बैंक आरडी करती है हर बैंक तो मैं बता दूं कि सहारा के लोग चक्कर में क्यों पड़े हुए थे आज तक लोग परेशान हो रहे हैं आज तक लोगों को पैसा फंसा हुआ है सहारा में नहीं मिल पा रहा है मिलने के जो उम्मीद थी वो भी खत्म होती जा रही है 

तो आपको बता दूं अगर यह जानकारी आपको पहले से रहती तो आप लोग सहारा जैसे कंपनियों में या फिर बहुत सारे चीट फंड जैसे कंपनियों में आप नहीं फंसते चाहे वो सरकारी बैंक हो चाहे प्राइवेट बैंक हो चाहे किसी प्रकार का कोऑपरेटिव बैंक हो हर कोई आरडी करता है 

अब बैंक का नाम भी बताया तो आपको एसबीआई हो गया बैंक ऑफ बदा हो गया पंजाब नेशनल बैंक हो गया एडीएसी बैंक हो गया आईआई बैंक हो गया एक्सस बैंक किसी भी बैंक में जाके आप आरडी करा सकते हैं और वो जो कराते दूसरे नन बैंकी कंपनी में आरडी कराते हैं उससे बेहतरीन इसमें होता है इसमें क्या होता है 

एक तो आपका अकाउंट रहता है उस बैंक में जिस बैंक में है अब जब आरडी कराते हैं तो आपके अकाउंट से लिंक होता है वो आपके अकाउंट से लिंकड होता है और हर महीने आपको जाकर जमा नहीं करना अपने अकाउंट में जो पैसा है उसी में से 500 महीना 1000 महीना 2000 3000 जितना कि आपने आरडी करा रखा है

उतना कटता रहता है और जितना लिमिटेड लिमिट के लिए आप करा रखे होते हैं जितना टाइम के लिए 3 साल 4 साल 5 साल 7 साल 10 साल उतने टाइम के बाद ऑटोमेटिक व विड्रॉल हो जाता है आपको किसी प्रकार का ना फोन भरना है ना कुछ करना है ऑटोमेटिक विड्रॉल हो के फिर उसी अकाउंट में पैसा वापस आ जाता है विथ इंटरेस्ट मतलब साथ में उसका ब्याज भी आपको मिल जाता है तो देखिए इतना आसान प्रोसेस है लेकिन लोगों को जानकारी नहीं है तो लोग बैंक में नहीं कर पाते आज भी ढूंढते रहते हैं 

किसी चीट फंड कंपनी को कोई आके बता देता है कोई प्लान सुना देता है कोई नया स्कीम सुना देता है कि भाई इतना जमा करोगे इतना मिलेगा महीना में इतना जमा करोगे 3 साल बाद इतना मिलेगा पता ही नहीं रहता वो कंपनी का नाम क्या है कहां की कंपनी है कंपनी मान्यता प्राप्त है या नहीं या फिर डूब जाएगी तो क्या होगा तो आपको बता दूं ये बैंकों में भी ऑप्शन है 


एनआरआई अकाउंट किसके लिए होता है


ये तो समझ गया इसके अलावा आपको बता दूं एनआरआई अकाउंट खुलता है एनआरआई अकाउंट ये किसके लिए होता है जो लोग विदेश में जॉब करते हैं जो लोग विदेश में काम करते हैं जॉब करते हैं और वहां से पैसा भेजते हैं अपने देश में दूसरा कौन है 

जो लोग यहां से जाकर विदेशों में बस गए हुए हैं जिनके पास दोहरी नागरिकता है तो वहां भी अपना अकाउंट खुला कर रखते हैं इंडिया में भी अकाउंट खुलवा के रखते हैं तो लेनदेन दोनों जगह कर सकते हैं उसके लिए होता है 

एन आर आई अकाउंट जो विदेशी पैसा को आप यहां भेजते हैं कन्वर्ट होके इंडियन पैसा में आपको मिलता है तो हो गया एनआरआई अकाउंट एक अकाउंट और बता रहा हूं जो आम तौर पर लोगों को खोला जाता है 

सैलरी अकाउंट सैलरी अकाउंट जो किसी कंपनी में कोई काम कर रहा है किसी फैक्ट्री में काम कर रहा है तो होता क्या है कि कंपनी के द्वारा या फिर फैक्ट्री मालिक के द्वारा समूह में लोगों को खुलवाया जाता है अपने स्टाफ को खुलवाया जाता है 

जो इसलिए सिर्फ खोला जाता है कि उस पर आपकी सैलरी आ सके उसको नॉर्मल भी आप यूज कर सकते हैं लेकिन वो सैलरी अकाउंट इसलिए कहलाता है कि आप आपकी सैलरी 10000 15000 200 हज 50000 लाख दो लाख जितनी भी सैलरी आपकी सैलरी आ गई उस अकाउंट में आप पूरा पैसा निकाल लेते हैं एक रुपया भी उसपे नहीं छोड़ते हैं फिर भी किसी प्रकार का मिनिमम चार्ज आपको नहीं लगता है ना ही किसी प्रकार का पेनल्टी आपको लगता है तो सैलरी अकाउंट होने से यह फायदा होता है कि उस पर मिनिमम बैलेंस का कोई टेंशन नहीं रहता व इसके अलावा बता दूं बैंक का बहुत सारा काम भी करने लगे ये तो अकाउंट व जो अकाउंट जितने अकाउंट जितने तरह के खुलते हैं 

सिस्टमिक इन्वेस्टमेंट प्लान किसे कहते हैं


वो मैंने आपको बताया इसके अलावा बैंक बहुत तरह के अकाउंट खोलने लगे जैसे इन्वेस्टमेंट के नाम पर अभी देखते होंगे एसआईपी भी कर रही है सारे बैंक एसआईपी कर रही है सिस्टमिक इन्वेस्टमेंट प्लान जिसे कहते हैं उसमें क्या होता है आपको पता ही व म्यूचुअल फंड का एक हिस्सा है मैंने कई वीडियो में आपको बता भी चुका हूं कि म्यूचुअल फंड का एक हिस्सा है उसमें भी आरडी के तरह आप महीने महीने पैसे कुछ जमा कर सकते हैं 5 साल 10 साल 15 साल के लिए अच्छा खासा रिटर्न के साथ आपको रिटर्न मिल जाता है मतलब समझिए 10 साल में आपको तीन चार गुना पैसा हो जाता है 

डबल इसके अलावा म्यूचुअल फंड में भी पैसा डालती है हर बैंक जैसे एक मुस्त आपके पास 100 हज 20 हज 50000 1 लाख 2 लाख 5 लाख है आपने डाल दिया म्यूचुअल फंड तो अच्छा खासा रिटर्न मिल जाता है 12 से लेकर 15 पर 20 पर तक आपको मिल जाएगा लॉन्ग टर्म के लिए आप रखते हैं 

मतलब तीन चार गुना पैसा आपको अच्छा से हो जाएगा ₹ लाख का 4 लाख अगर ₹ लाख है तो ₹1 लाख इस तरह के आपके बन जाएंगे तो ये सब पहले भी वीडियो में बता चुका हूं 

लेकिन ये सिर्फ आपको बैंक क्या करती है वो समझाने के लिए बता रहा हूं और अकाउंट के नाम पे आपको बता दूं कि एक और फैसिलिटी है बैंक में जिसे ओडी कहते हैं ओवरड्राफ्ट ओडी का अकाउंट ही अलग खोल देते हैं उससे क्या है कि आपका पैसा तो आपके अकाउंट में पड़ा हुआ है उससे कोई दिक्कत नहीं है 

ओडी क्या है 

ओवर ड्रा में कि आपको 3 लाख 4 लाख 5 लाख 10 लाख की आपको जरूरत पड़ गया कभी अब इस ओडी का जो लिमिट होता है मान लीज 10 लाख का आपका लिमिट है ये जरूरी नहीं 10 लाख का इंटरेस्ट आपको लगेगा वो 10 लाख का आपका ओडी का लिमिट है अकाउंट खुला हुआ है 

उसमें से आप 2 लाख 1 लाख 50000 3 लाख जितना इस्तेमाल करते हैं उतना का इंटरेस्ट देना होता है और जितना दिन के लिए इस्तेमाल करते हैं उतना दिन का इंटरेस्ट देना पड़ता है इसका कोई ये नहीं कि 5 साल के लिए 10 साल के लिए आप आप 10 दिन के लिए भी इस्तेमाल करके फिर पैसा डाल देते हैं तो 10 दिन का इंटरेस्ट लगता है आपका काम चल जाता है तो ये भी बहुत अच्छा एक अकाउंट हुआ है 

इंश्योरेंस 

बहुत अच्छी फैसिलिटी है इसके अलावा आपको बता दू इंश्योरेंस ये हालांकि बैंक का हिस्सा नहीं था बैंक का पार्ट नहीं था लेकिन आजकल क्या है हर बैंक में एक डिपार्टमेंट अलग बना दिया गया इंश्योरेंस करने के लिए और जितने भी खाताधारक है तो आपको पता ही है बैंक सभी खाताधारक के खाते प नजर रखती है 

वो आपके पैसे को वाच करती है कि किसके अकाउंट प कितना पैसा है जिसके अकाउंट प पता चलता है कि 1 लाख 2 लाख 3 लाख 4 लाख 5 लाख ऐसा मोटा पैसा इससे ज्यादा अधिक पैसा पड़ा हुआ है और उसका इस्तेमाल दो महीने 3 महीने 4 महीने से नहीं हो रहा है 

तो होता क्या है कि वो आपको कॉल करेगा किसी बहाने से और आपको इस तरह से कन्वेंस करेंगे इस तरह से कन्वेंस करेंगे आपको किसी तरह से मतलब वो इंश्योरेंस में पैसा इन्वेस्ट करा देंगे इतना लालच देंगे आपको इतना सिक्योरिटी के बारे में समझाएंगे आपके लाइफ के बारे में समझाएंगे आपकी जिंदगी के बारे में समझाएंगे आपको फ्यूचर के बारे में समझाएंगे और आपको टिका देंगे इंश्योरेंस या फिर उसके घर पहुंच के इंश्योरेंस बेज दो अगला सोचेगा भाई बैंक का मैनेजर मेरे घर पे आ रहा है 

बैंक का स्टाफ मेरे घर पे आ रहा है ये काम करने के कैसे मना करूं और वो करा लेते हैं और बुरी तरीके से फस जाते हैं प्राइवेट बैंक वाला ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते हैं कि अ अकाउंट खोलने से ज्यादा इंश्योरेंस पे ही ध्यान दे रहे ये मेरे साथ भी हो चुका है 

कई लोगों के साथ ऐसा हो चुका है कि जबरदस्ती करके अकाउंट मतलब जिस बैंक में अकाउंट है वहां के मैनेजर तक आपके घर पर पहुंच जाते हैं और आपको आकर कन्वेंस करके अकाउंट खोल देते हैं मजबूर कर देते हैं एक तरह से समझिए अपना भी चाहते हैं तो मजबूर कर देते हैं इंश्योरेंस भी ये नहीं कि अपने बैंक का कर रहा है 

ये भी नहीं कि अपने बैंक का कर रहा है आपको बता दूं वो लोग क्या करते हैं जैसे मान ली डीएफसी लाइफ हो गया अलग-अलग कंपनी श्रीराम फाइनेंस हो गया तो इस तरह के 1015 कंपनी का वो फ्रेंचाइजी लेके रखती है और आपको प्लान समझाए गी और दूसरे कंपनी का आपको इंश्योरेंस दे देगी इसके बदले क्या होता है बैंक का जो स्टाफ होता है 

उसको अच्छा खासा इंसेंटिव और कमीशन बन जाता है और बैंक को भी इससे अच्छा खासा अर्निंग हो जाता है तो इसीलिए अब इंश्योरेंस करना भी चालू कर दिया है तो इसमें आप लोग कोशिश करेंगे कि ना फसे जरूरत हो तो करा सकते हैं लेकिन मैं कहूंगा कि बैंक से इंश्योरेंस लेने में आपको ज्यादा फायदा नहीं है दोस्तों मेरे सब्सक्राइबर अभी तक आप नहीं है 

तो चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए बगल में बेल उसको भी आप जरूर दबा लेंगे पुराने सब्सक्राइबर है तो इसके लिए कोटी कोटी धन्यवाद देता हूं आभारी हूं आपका मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में एक नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए शुक्रिया धन्यवाद जय हिंद दोस्तों



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